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Bangladesh में अंतरिम सरकार के गठन के बाद भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

Bangladesh में आरक्षण के बाद शुरू हुआ आंदोलन पूरी राजनीति की तस्वीर बदल दी है। प्रधानमंत्री पद से शेख हसीना ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया और वह दिल्ली के पास गाजियाबाद में हिंडन एयरपोर्ट पर धाका से पहुंचीं। इसके बाद बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने संसद को भंग कर दिया और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया। यूनुस (83) को गरीबों के “बैंकर” के रूप में भी जाना जाता है और वह हसीना के तीखे आलोचक और विरोधी माने जाते हैं। उन्होंने हसीना के इस्तीफे को देश का “दूसरा स्वतंत्रता दिवस” बताया है। अंतरिम सरकार के अन्य सदस्यों के नाम विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श के बाद तय किए जाएंगे। इन परिस्थितियों में, यदि वहां राजनीतिक अस्थिरता विकसित होती है, तो पड़ोसी देशों के साथ संबंध भी व्यापक रूप से प्रभावित हो सकते हैं। वर्तमान में, हिंसा की घटनाओं को देखते हुए, भारतीय उच्चायोग में कार्यरत गैर-आवश्यक सेवाओं में कार्यरत कर्मचारी और उनके परिवार के सदस्य स्वेच्छा से भारत लौट रहे हैं।

Bangladesh में अंतरिम सरकार के गठन के बाद भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

53 साल के मीठे द्विपक्षीय संबंध

भारत और बांग्लादेश के बीच 53 साल से द्विपक्षीय संबंध बहुत मीठे रहे हैं। भारत ने पिछले साल दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में बांग्लादेश को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था। अब परिस्थितियों में बदलाव के बाद, शेख हसीना का सत्ता छोड़ना भारत के लिए कई समस्याएं पैदा कर सकता है।

आवामी लीग उदारवादी और धर्मनिरपेक्ष

भारत की शेख हसीना की आवामी लीग के साथ नजदीकी का कारण आवामी लीग का उदारवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतंत्र में विश्वास है। यही कारण है कि पिछले 15 सालों में दोनों देशों के बीच नजदीकी बढ़ी है। वहीं, विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी मौलवादियों की ओर झुकी हुई है, जिसका फायदा पाकिस्तान और चीन उठा रहे हैं।

भारत और बांग्लादेश के बीच करीब चार हजार किलोमीटर लंबी सीमा है। ऐसे में चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की चुनौतियों को देखते हुए भारत के लिए ऐसा शासन बांग्लादेश में होना जरूरी है जिससे उसके अच्छे संबंध रहें। शेख हसीना के कार्यकाल में पूर्वोत्तर भारत में अलगाववादी आंदोलन को बांग्लादेश के शिविरों से मिल रहे समर्थन से इसे कुचलने में काफी मदद मिली थी। बदले हालात में भारत-बांग्लादेश सीमा पर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है और सभी स्तरों के जवानों को बेहद सतर्क रहने को कहा गया है। किसी भी तरह के खतरे का समय रहते पता लगाने और उसे खत्म करने के लिए खुफिया अभियानों में तेजी लाई गई है। जवानों को सीमा पर कड़ी नजर रखने, मैनपावर बढ़ाने और त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी) बनाने के निर्देश दिए गए हैं।

बांग्लादेश भारत का प्रमुख व्यापारिक साझेदार है

बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत ने वित्तीय वर्ष 2023 में बांग्लादेश को 6,052 आइटम का निर्यात किया। वित्तीय वर्ष 2023 में भारत का बांग्लादेश को निर्यात 12.20 अरब डॉलर रहा, जबकि वित्तीय वर्ष 2022 में यह 16.15 अरब डॉलर रहा। भारत से बांग्लादेश में मुख्य रूप से कपास का धागा, पेट्रोलियम उत्पाद, अनाज और कपास के कपड़े भेजे जाते हैं। भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक संबंध और मजबूत हुए हैं। इसका प्रमाण यह है कि दोनों देशों के बीच व्यापार भारतीय रुपये में हुआ है।

व्यापार पर क्या होगा असर?

विशेषज्ञों का कहना है कि बांग्लादेश में अराजकता फैलने का भारतीय व्यापारियों पर कोई तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि अगर यह मामला लंबे समय तक चलता रहा तो इसका असर जरूर देखने को मिलेगा। बांग्लादेश से आने वाले आयातित सामान महंगे हो जाएंगे। पिछले दो महीने से बांग्लादेश में बिगड़ते हालात के चलते व्यापारियों को हजारों करोड़ों का नुकसान हुआ है। वित्तीय वर्ष 2023 में भारत का बांग्लादेश को निर्यात 10.63 अरब डॉलर रहा जो भारत के कुल निर्यात का 2.6 प्रतिशत है। वहीं इसी दौरान भारत से बांग्लादेश का आयात 1.86 अरब डॉलर रहा जो भारत के कुल आयात का 0.28 प्रतिशत है।

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